अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए आगरा से सटे गांव को 2 महीने में बना दिया गया था हाइटेक; नेहरू ने यहां महिलाओं से कहा- मेरे सामने घूंघट कैसा

अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए आगरा से सटे गांव को 2 महीने में बना दिया गया था हाइटेक; नेहरू ने यहां महिलाओं से कहा- मेरे सामने घूंघट कैसा


आगरा /  यहां मुख्यालय से 9 किमी. की दूरी पर लरामदा गांव है। अमेरिका के 34वें राष्ट्रपति डेविड आइजनहॉवर साल 1959 में ताजमहल का दीदार करने पहुंचे थे। तब देश के सत्ता की बागडोर जवाहर लाल नेहरू के हाथों में थी। आइजनहॉवर के दौरे को लेकर इस गांव को 2 महीने के अंदर हाइटेक (आदर्श) बना दिया गया था। गांव में नेहरू और अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुली जीप में भ्रमण किया था। यहां दोनों ने ग्रामीण परिवेश को करीब से जाना। इस दौरान गांव की महिलाओं से बातचीत की गई। नेहरू ने उन्हें घूंघट में देखा तो पूछा- इसकी क्या जरूरत है। मैं तो आपके पिता के समान हूं। बेहिचक बातचीत करिए।


अब अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत के दौरे पर हैं, वे ताजमहल भी देखने पहुंचेंगे। उनके आने की चर्चा इन दिनों लरामदा गांव में खूब हो रही है। दैनिक भास्कर इस गांव पहुंचा और 60 साल पहले आए आइजनहॉवर के दौरे के वक्त प्रधान रहे स्व. करन सिंह के पुत्र रमेश चंद्र से बात की। उनसे जानने की कोशिश की कि उस समय आजादी मिले तो 12 साल ही बीते थे, भारत गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहा था, तब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की क्या प्रतिक्रिया थी


पहले बात गांव की तस्वीर की...
आगरा-भरतपुर हाईवे पर 9 किमी सफर तय करने पर एक ईंट भट्ठा नजर आता है। भट्ठे से सटी एक सड़क है, जो बिचपुरी तहसील के लरामदा गांव तक ले जाती है। गांव में करीब 6 हजार लोग रहते हैं। मुख्य मार्ग से गांव की तरफ जाने वाली सड़क के दोनों तरफ खेतों में गोभी और प्याज की फसल लगी है। थोड़ा आगे बढ़ने पर प्राथमिक और जूनियर विद्यालय है। इसी के बगल में 1950 में निर्विरोध चुने गए प्रधान स्व. करन सिंह का मकान है। साल 1982 तक इन्हीं के परिवार में प्रधानी रही। 


तब राष्ट्रपति ने कहा था- किसानों का दर्द समझ पाया
स्व. करन सिंह के पुत्र रमेश चंद्र घर के बाहर ही बैठे थे। उनके साथ गांव के कई और लोग भी बैठे थे। उनसे राष्ट्रपति डेविड आइजनहॉवर से जुड़े किस्सों के बारे में पूछा। रमेश चंद्र ने कहा- उस वक्त मेरी उम्र महज 8 साल की थी। लेकिन, दिलोदिमाग पर आज भी किस्से ताजा हैं। उन्होंने बताया कि 13 दिसंबर 1959 को गांव वालों से मुलाकात के बाद डेविड आइजनहॉवर ने कहा था कि मैं भी किसान का बेटा हूं...आपके गांव में आप लोगों के द्वारा किए गए सेवा सत्कार को देखकर मुझे अपने गांव की याद आ गई, जब मैं व्हाइट हाउस में नहीं होता हूं तब मैं अपने गांव में होता हूं और मिट्टी के करीब होता हूं। आज मैं जब यहां आया हूं तब मैं किसानों का दुःख दर्द को समझ पाया हूं। 


प्रशासन ने आदर्श गांव बनाने की चुनौती दी थी


रमेश चन्द्र ने बताया कि आगरा ताजमहल देखने से पहले प्रधानमंत्री नेहरू और अमेरिका के राष्ट्रपति आए थे। उनका एक गांव में दौरा प्रस्तावित था। प्रशासन के सामने मुश्किल यह थी कि दो महीने में किस गांव को आदर्श बनाया जाए। इसके लिए प्रधानों की खुली बैठक बुलाई गई। जिसमें खुलेतौर पर पूछा गया कि कौन गांव का प्रधान अपने गांव को तय समय में हाईटेक बना लेगा। इस पर लरामद के तत्कालीन प्रधान करन सिंह और उनके भाई टीकम सिंह सरपंच (ब्लॉक प्रमुख) ने चुनौती को स्वीकार किया और आदर्श गांव बनाया था। गांव में पंचायत घर बनाया। तालाब में बतख छोड़े गए। 2 स्कूल बनाए। शौचालय बनाए और पूरे गांव की साफ-सफाई करवाई थी।


नेहरू ने कहा- आप मुझे पिता समझिए, तब महिलाओं ने हटाया था घूंघट
रमेश चंद बताते हैं कि पंडित नेहरू के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति खुली जीप में गांव के मुख्य द्वार पर उतर गए। गांव में पैदल पहले हमारे घर पहुंचे फिर पंचायत भवन तक गए। घर के बाहर गांव और परिवार की बहू-बेटियों ने अमेरिका के राष्ट्रपति का टीका, आरती करके और माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान घर की महिलाओं ने घूंघट कर रखा था, तभी अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहॉवर ने प्रधानमंत्री नेहरू से पूछा- इन सब ने घुंघट क्यों रखा है? नेहरू के पूछने पर महिलाओं ने कहा- हम अपने भाई, पति, पिता और बेटे के अलावा किसी बड़े-बुजुर्ग को अपना मुंह नहीं दिखाते हैं। तब नेहरूजी ने कहा- आप हमें अपना पिता ही समझिये। तब महिलाओं ने अपना चेहरा दिखाया। 


उस समय के बराबर आज तो कोई उत्साह नहीं
रमेशचंद्र कहते हैं कि जब अमेरिका के राष्ट्रपति आए थे तब पूरे गांव में उत्साह, शहर में उल्लास था। लेकिन, आज वैसा कोई उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के दौरे के बाद गांव की बड़ी तरक्की हुई और लोग जागरूक हुए। हमारे गांव में कई अलग-अलग तरीके की फैसिलिटी है जो किसी अन्य गांव में शायद ही मिलेगी। जैसे कि हमारे गांव में पानी संरक्षण, 2 प्राथमिक विद्यालय, खड़ंजा, तालाब और पूरे गांव में वाटर सप्लाई के लिए पाइप लाइन जॉइंट कर दी गई। पानी की टंकियां लगी हैं। 24 घंटे बिजली और दो ट्यूबवेल भी है। 75 प्रतिशत गांव शिक्षित है और 95 प्रतिशत घर पक्के हैं।