धराशायी इमारत में भोजनालय था, क्लीनिक और टाइल्स की दुकान पर यह गिरा, लोग पहले ही निकल गए थे इसलिए बचे
रायपुर / बिलासपुर रोड पर बिरगांव-रावांभाठा के बीच धराशायी हुई इमारत में एक भोजनालय था, जिसमें हादसे के करीब डेढ़ घंटे पहले तक कुछ लोग जाकर वापस आए थे। पूरी इमारत बगल में ही एक डाक्टर के क्लीनिक और टाइल्स दुकान पर गिरी। गनीमत थी कि डाक्टर समेत सभी को दो दिन से अंदेशा था कि हादसा हो सकता है। यही वजह थी कि ऐसे हादसे में भी किसी को खरोंच तक नहीं आई। इस हादसे में पुलिस ने आर्किटेक्ट्स के सुझाव और लोगों के बयान के आधार पर शुक्रवार को देर शाम हुई एफआईआर में साफ लिखा कि धराशायी हुए भवन के बराबर में कांप्लेक्स के बेसमेंट के लिए खोदा गया 15 फीट का गड्ढा इस हादसे की वजह बना है। मलबे में एक डाक्टर का क्लीनिक भी दबा पाया। लोगों ने बताया कि यहां बैठनेवाले डाक्टर ने तीन दिन से क्लीनिक बंद कर रखा था, क्योंकि उन्हें भी बिल्डिंग गिरने की अाशंका थी। पूरी बिल्डिंग इसी क्लीनिक के ऊपर गिरी। गनीमत कि यह बंद था। इसी तरह, गिरनेवाली बिल्डिंग में ही निचले फ्लोर पर एक भोजनालय था और दूसरे माले में उसी के 5 कर्मचारी रहते भी थे। लोगों को हादसे के एक-डेढ़ घंटे पहले अंदेशा हो गया था कि भवन गिर सकता है। इस वजह से वे भी बाहर निकल अाए थे और बिल्डिंग से दूर ही थे। क्लीनिक से लगी टाइल्स दुकान में भी हादसे के वक्त इत्तेफाक से कोई नहीं था। बिल्डिंग गिरने से भोजनालय का नामो-निशान तो मिटा ही, क्लीनिक और टाइल्स दुकान भी मलबे में गुम हो गई।
इन्वेस्टिगेशन : नींव गड्ढे से कमजोर हुई, जैसे भूकंप से हो जाती है: आर्किटेक्ट
आर्किटेक्ट और इंजीनियर मनीष पिल्लीवार के अनुसार बिल्डिंग एक ही पीस में गिरी है। इसलिए यह साबित हो रहा है कि इमारत कमजोर या जर्जर नहीं थी। हादसे की एकमात्र वजह मकान के ठीक बाजू में गहरा गड्ढा खोदना है, जिसने पुराने तरीके से बने इस मकान की नींव को एक्सपोज कर दिया। भूकंप के दौरान भी ऐसा ही होता है। धरती हिलती है तो नींव एक्सपोज हो जाती है। बिरगांव का मकान भी इसी सिद्धांत पर झुकने लगा और गुरुत्वाकर्षण के कारण शुक्रवार को 3 सेकंड में धराशायी हो गया। आर्किटेक्ट संदीप श्रीवास्तव के अनुसार गिरी इमारत बिना काॅलम वाला है। एक तरफ की नींव कमजोर हो गई थी। इस वजह से दूसरी तरफ की नींव को भी सपोर्ट नहीं मिला और अंतत: मकान गिर गया।
इमारत में 3 तरह के लोड
आकिर्टेक्ट के अनुसार किसी भी बिल्डिंग में तीन तरह के लोड होते हैं। पहला डेड लोड यानी दीवार, सीलिंग, छज्जे, कॉलम इत्यादि हैं। दूसरा फिनिशिंग लोड यानी टाइल्स, सेनेटरी और फाल्स सीलिंग वगैरह का होता है। तीसरा मूवेबल लोड होता है। बिल्डिंग में रहने वाले लोग, आलमारी, फर्नीचर या इस तरह की मूवेबल चीजों के कारण लोड होता है। भवन निर्माण के दौरान इन तीनों ही चीजों के अनुमानित भार के आधार पर ही किसी बिल्डिंग का बेस, कांक्रीट और सरिया का इस्तेमाल किया जाता है। ऊंची बिल्डिंग में इनके अलावा कंपन सहने की क्षमता के अाधार पर नींव बनती है।
अनुमति की जांच होगी
भवन जर्जर नहीं था। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि खाली प्लाट की वजह से ही बिल्डिंग गिरी है। हम जांच करेंगे कि गड्ढा करनेवालों ने वहां निर्माण की अनुमति ली थी या नहीं। - श्रीकांत वर्मा, कमिश्नर बीरगांव निगम
जमीन मालिक पर केस
जमीन मालिक के खिलाफ आईपीसी की धारा 336, 427 के तहत लापरवाही और लोगों की जान को खतरे में डालने का मामला दर्ज किया गया है। आरोपी की गिरफ्तारी फिलहाल नहीं हो पाई है। - रमाकांत साहू, टीआई खमतराई थाना
मना किया पर माना नहीं
पुलिस एफआईआर में इस बात का उल्लेख है कि गड्ढा खोदा जा रहा था, तब भवन मालिक ने मना किया लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई। तीन पहले से बिल्डिंग झुकने लगी थी, वहां के लोग बिल्डिंग गिरने के अंदेशे से दो-तीन दिन से इसके अासपास नहीं फटक रहे थे, इसलिए बड़ा हादसा टल गया। पुलिस ने इस मामले में कांप्लेक्स के लिए गड्ढा खोदवाने वाले व्यक्ति पर दफा 336 और 427 का केस दर्ज किया है। यह धाराएं लापरवाही से नुकसान पहुंचाने की हैं, जिसमें आर्थिक क्षतिपूर्ति के अलावा 2 साल की सजा का भी प्रावधान है।
जर्जर नहीं थी बिल्डिंग
- बिरगांव निगम के अफसरों ने बताया कि जो बिल्डिंग गिरी, उसमें कोई क्रैक नहीं था। यही नहीं, निर्माण भी पुराना नहीं था इसलिए इसे जर्जर नहीं माना गया था।
- हर साल जर्जर भवन के सर्वे में भी यह बिल्डिंग नहीं अाई थी। इसलिए नगर निगम ने बिल्डिंग मालिक अाशीष मिश्रा को हादसे के बावजूद कोई नोटिस जारी नहीं किया है।