क्लिंटन से पहले भारत आए हर अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत से ज्यादा अहमियत पाकिस्तान को दी, निक्सन ने तो धमकाया भी

क्लिंटन से पहले भारत आए हर अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत से ज्यादा अहमियत पाकिस्तान को दी, निक्सन ने तो धमकाया भी


नई दिल्ली / अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24 फरवरी को भारत पहुंचेंगे। इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। भारत को ट्रम्प के इस दौरे से काफी उम्मीदें भी हैं। इसकी वजह यह है कि भारत आज अमेरिका का सबसे अच्छा दोस्त और सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है। लेकिन एक दौर ऐसा भी था, जब अमेरिका का दिल पाकिस्तान के लिए धड़कता था। उसके लिए भारत से ज्यादा अहमियत पाकिस्तान की थी। इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति निक्सन ने 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान भारत को धमकाया तक था। निक्सन 1969 में भारत आ चुके थे, लेकिन उनके रवैये के बाद 31 साल तक कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान नहीं गया। वर्ष 2000 में बिल क्लिंटन भारत-पाकिस्तान पहुंचे। इस दौरान भारत-अमेरिकी रिश्तों की एक नई इबारत गढ़नी शुरू हुई। इतिहास पर नजर डालें, तो आजादी के बाद पहली बार भारत आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति 1959 में ड्वाइट डी आइजनहावर थे। तब से लेकर अब तक 61 सालों में 6 अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर रहते भारत आ चुके हैं। डोनाल्ड ट्रम्प सातवें होंगे।


बराक ओबामा- 2010 और 2015 


दोनों कार्यकाल में भारत आए। संसद को संबोधित भी किया। 26/11 हमले के पीड़ितों से भी मिले थे। सार्वजनिक रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट का समर्थन किया। 


खास बात |  दोनों देशों में करीब एक लाख करोड़ के समझौते हुए। दो बार भारत आने वाले इकलौते अमेरिकी राष्ट्रपति।


जॉर्ज डब्ल्यू बुश- 1-3 मार्च, 2006 


राष्ट्रपति के दो कार्यकाल के दौरान बुश सिर्फ एक बार भारत आए और सिर्फ 60 घंटे गुजारे, इसके बावजूद वह भारत आने वाले बेहतरीन राष्ट्रपति माने जाते हैं। बुश ने रिश्तों की गति को बनाए रखा।


खास बात|  परमाणु समझौता। भारत पहला देश बना, जो एनपीटी पर हस्ताक्षर किए बिना परमाणु कार्यक्रम पर आगे बढ़ा।


बिल क्लिंटन- 21-25  मार्च, 2000 


5 दिन भारत और 5 घंटे पाक की यात्रा की। पाकिस्तान में टीवी पर जनता से सीधे बात की। कहा- यह देश आतंकवाद की गिरफ्त में है। 50 साल के पाक-अमेरिका समीकरण को पलट दिया।


खास बात| भारत-अमेरिका को ‘दो प्रतिष्ठित लोकतंत्र’ के रूप में पेश किया। पोखरण के बाद लगे कई प्रतिबंध हटा दिए। 


ड्वाइट आइजनहावरः 9 दिसं. 1959 


शीत युद्ध के दौरान नाराज थे क्योंकि उन्हें लगता था कि भारत गलत है। दिल्ली के रामलीला मैदान में सभा की। कहा- भारत से अमेरिका का ‘दिमाग का रिश्ता’ है, जबकि पाकिस्तान के साथ ‘दिल’ का।


खास बात| 10 लाख लोग उमड़े थे। नाराजगी के बावजूद नेहरू की तारीफ की। नेहरू ने भी उन्हें दिल का टुकड़ा कहा।


रिचर्ड निक्सनः 31 जुलाई, 1969 


इस यात्रा का उद्देश्य इंदिरा गांधी के साथ तनाव और अविश्वास कम करना था।  लेकिन बातचीत में सौहार्द और गर्मजोशी नहीं दिखी। उसी दिन पाक चले गए। इंदिरा को नकचढ़ी कहते थे।


खास बात|  पाक के सबसे बड़े दोस्त। 1971 में भारत को धमकाने के लिए बंगाल की खाड़ी में जंगी बेड़ा भेज दिया था।


जिमी कार्टर- 1-3 जनवरी, 1978  


प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के शपथ के तीन दिन बाद भारत आए थे। 1971 के युद्ध और पोखरण परीक्षण से तल्ख हुए रिश्ते सुधारनेे आए थे। लेकिन उन्हें रूस से भारत के रिश्ते रास नहीं आए।


खास बात| इकलौते राष्ट्रपति, जो भारत के बाद पाक नहीं गए। हरियाणा में एक गांव का नाम कार्टरपुर कर दिया गया।


डोनाल्ड ट्रम्प पर भरोसा करने वालों में भारतीय 5वें नंबर पर


हाल ही में प्यू रिसर्च ने ट्रम्प पर भरोसे को लेकर दुनिया भर में सर्वे किया। इसमें ट्रम्प पर भरोसा जताने वालों में भारतीय (56%) पांचवें नंबर पर है। सबसे ज्यादा भरोसा फिलीपींस (77%) और इजरायल(71%) के लोगों को है। केन्या (65%) चौथे और नाइजीरिया (58%) पांचवें नंबर पर है।


मोदी और ट्रम्प के खास रिश्ते
पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच मजबूत रिश्ता दिखता है। इसकी झलक पिछले साल ह्यूस्टन में दिखी, जहां दोनों नेताओं ने भारतीय समुदाय के सामने एक-दूसरे का समर्थन किया था। पिछले साल ट्रम्प ने देश को साथ लाने के लिए पीएम मोदी को ‘फादर ऑफ इंडिया’ कहा था। ट्रम्प ने यह भी कहा था कि मोदी एल्विस प्रिस्ले के अमेरिकी संस्करण की तरह हैं।